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शे'र
बेदम शाह वारसी
शे'र
रहज़न-ए-ईमान तू जल्वा दिखा जाए अगरबुत पुजें मंदिर में मस्जिद में ख़ुदा की याद हो
अकबर वारसी मेरठी
शे'र
तुझी से नक़्श-ए-नाकामी में हैं उम्मीद के जल्वेशब-ए-ग़म है क़ज़ा के भेस में मेरा मसीहा तू
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
न जाने कौन से यूसुफ़ का जल्वा मुझ में पिन्हाँ हैज़ुलेख़ा आज तक करती है 'मुज़्तर' इल्तिजा मेरी
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
तू ने अपना जल्वा दिखाने को जो नक़ाब मुँह से उठा दियावहीं हैरत-ए-बे-खु़दी ने मुझे आईना सा दिखा दिया
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
शे'र
तू ने अपना जल्वा दिखाने को जो नक़ाब मुँह से उठा दियावहीं हैरत-ए-बे-खु़दी ने मुझे आईना सा दिखा दिया
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
शे'र
ऐ जान-ए-मन जानान-ए-मन हम दर्द-ओ-हम दरमान-ए-मनदीन-ए-मन-ओ-ईमान-ए-मन अम्न-ओ-अमान-ए-उम्मताँ